बॉलीवुड के मशहूर एक्टर इरफ़ान खाना का निधन
बॉलीवुड के जानेमाने एक्टरों में एक इरफ़ान खाना जिनका आज मुंबई के एक अस्पताल में उनका आज निधन हो गया है ये लबे वक्त के कैंसर नामक बीमारी के जूझ रहे थे
इस वक्त पूरा देश कोरोना जैसे महामारी से जुझा रहा है एक और बॉलीवुड के चाहने वाले के लिए दिल दुख ने वाली खबर सामने आई |
PM ने ट्वीट करके अपने भावना व्यक्त किये
PM मोदी ने अपने ट्विटर अकाउंट से ट्वीट करके इरफ़ान खान की निधन पर कहा की इरफ़ान खाना की निधन से सिनेमा और थियेटर जगत को काफी क्षिति पहुंच है
अपने निधन से पहले अपने एक ऑडियो रिकॉर्डिंग जारी किया जिसमे उन्होंने कहा
मौत को सिरहाने रखकर लिखे गए खत सबसे ज्यादा खूबसूरत और अर्जमन्द होते हैं. जो दर्ज होता है फानी नहीं होता. ख्यालों की खुश्बू हवाओं में रहती है. मुश्ते खाक आखिर होता क्या है?
आप जिस्म हैं, मैं रूह ... आप फ़ानी, मैं लाफ़ानी- (हैदर के इरफान)
तुम्हारा खत दिलो-दिमाग पर हावी है साहबजादे इरफान अली खान. वही खत जो मौत की दहलीज से पहली दफा तुमने जिंदगी की बेवफाई के नाम लिखा था.
रिल्के के मार्फत-
तुम एक अधूरा गीत कहां थे इरफान. अब तो तुम हर सीमा से बाहर हो चुके हो. अब कुछ शेष नहीं है बल्कि केवल और केवल तुम हो हमेशा-हमेशा के लिए. जिंदगी में भी आखिर फानी था क्या? तुम्हारे होने की खबर हर दिल अजीज थी. तुम ना होकर भी एक किरदार रहे और होकर भी एक कहानी. या की कोई दिलचस्प किस्सा जिसे याद करके दिलों के अंधेरे रौशनी से भरते रहे.
उस सफर का हिस्सा रहे जो तुम्हारे नाम के सहारे कट गया या की फिल्मों के. एक चेहरा रहे जो हर दिल में कहीं मौजूद था. एक आवाज जिसे सुनकर कहीं दूर की कोई कहानी अपनी यादों में सिमट जाया करती थी. एक अफसाना जिसे हर होंठ हमेंंशा बुदबुदाते रहेंगे.
ढेरों फिल्में, पान सिंह तोमर, मदारी, मकबूल, हिंदी मिडियम, हैदर, लंच बॉक्स. कई किरदार चाहने वालों के धड़कते दिलों में ही तो जिंदा रहेंगे. तुम्हारी आंखों की गहराई में शहर के शहर और जानें कितने कस्बे भरे पड़े हैं. तुम्हारे बोलती तस्वीरें दिलों की धड़कनें बढ़ाती हैं..!
वॉरियर कभी नहीं मरा करते इरफान.
सोचता हूं इस फानी दुनिया से तुम्हारे जाने की खबरों पर यकीं के भरोसे में कितनी दरारे हैं.
और देखो कल की ही बात है वक्त मिनटों से घंटों और घंटों से दिन में बदल जाता है. जब पर अपने इन बॉक्स में मुंबई टीम से आए एक कन्फर्मेशन मेल में तुम्हारे हॉस्पिटल में एडमिट होने की सूचना मेरे दफ्तर से खारिज कर दी गई. तुम जानते हो खारिज कर दिया जाना एक खतरनाक दस्तूर होता है. मौत की खबरें कम ही खारिज होती हैं..!
कहा गया की तुम-हॉस्पिटल से लौटे ही कहां थे. जो कुछ था वहीं था. जितना तुम बचे थे वहीं थे. जो बचा हुआ रहा उसकी हिस्सेदारी हमारे पास थी. उतने ही शेष थे. यही सच था. तुम लौटे ही कहां थे.
और इरफान मैंने उतनी ही देर तुम्हें याद किया और जबकि वह याद अब भी मेरे अंदर तैर रही है. तुम्हारा चेहरा वह एक झलक जो कुछ साल पहले दफ्तर में कैद हुई. उन किरदारों का तो हिसाब ही नहीं जिसके बूते तुम कई दिलों में हमेशा-हमेशा के लिए एक याद बन गए.
याद करना और यादों को महसूस करना दोनों ही बहुत अलग हैं इरफान.
तुम ठीक कहते थे कि- जिंदगी में अचानक कुछ ऐसा हो जाता है जो आपको आगे लेकर जाती है. जिंदगी में अनश्चितता ही निश्चित है. मुझे पहली बार असल मायने में एहसास हुआ कि आजादी का मतलब क्या है."
तुम्हारी आजादी और अनिश्चतता के मायने समझ आते हैं इरफान.
वह खत ही तुम्हारा हिस्सा था. वह किस्सा जिसका आखिरी हिस्सा तुम लिख चुके थे..!
अलविदा
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