सोनपुर मेला का इतिहास - History of Sonpur Mela

सोनपुर मेला विश्व के सुप्रसिद्ध मेलो में से एक है सोनपुर मेला बिहार के सोनपुर में कार्तिक मास यानी नवम्बर दिसम्बर माह में लगता है | सोनपुर बिहार के वैशाली जिले के हाजीपुर से 3 किलोमीटर है और बिहार की राजधानी पटना से महज 25 किलोमीटर की दूरी पर ये मेला को आयोजित किया जाता है | इस मेला की मुख्य बात यह है कि इस में पशु के लिए मेला लगाया जाता है
सोनपुर मेला ऎशिया के सबसे बड़ा पशु मेला है  

सोनपुर मेले के ' हरिहर क्षेत्र ' के नााम से जाना जाता है जबकि यहां के निवासी सोनपुर मेला छतर मेला के नाम से इसे जानते है |
सोनपुर मेला सोनपुर गड़क नदी के तट पर लगने वाला पशु मेला है सोनपुर मेले के शुरुआत कार्तिक पूर्णिमा के स्नान के बाद शुरू हो जाता है सोनपुर मेले एशिया का सबसे बड़ा मेला माना जाता है 

वर्ष 2020 में इस मेला आयोजन 20 नवम्बर से 5 दिसम्बर तक होना है इस मेला को विदेश से पर्यटक आते है फ्रांस, इंग्लैंड, जापान बहुत सारे देश के लोग इस मेले को देखने आते हैं यह मेला पर्यटक स्थल में तब्दील भी हो जाता है यह विदेशी पर्यटक आते हैं इस मेला को और खूबसूरत बनाते हैं

एक समय ऎसा भी था मध्य एशिया के सबसे कारोबारी यहां पर पशु को खरीदने के लिए आया करते थे सोनपुर मेला में मौर्य साम्राज्य  के संस्थापक महान राजा चंद्रगुप्त मौर्य(340 ई० पू ०- 290 ई० पू ० ) यहां से अपने साम्राज्य के लिए हाथी की खरीद लिए थे  मुगल सम्राट अकबर ने भी यही से अपने साम्राज्य के लिए हाथी की खरीद की थीं सन 1803 ई ० में एक आंग्रेज आधिकारी जिनका नाम रोबेट क्लाइव ने याह पर घोड़ों के लिए अस्तबल का निर्माण करवाया था 

नाच और नौटंकी के लिए भी प्रसिद्ध है सोनपुर मेला
एक दौर था नौटंकी की मल्लिका गुलाब बाई का जलवा को देखने के लिए काफी भीड़ उमड़ ता था सोनपुर मेले नाच और नौटंकी के लिए भी प्रसिद्ध है यहां देश के अलग अलग के थियेटर ग्रुप अपनी ग्रुप में अपनी प्रस्तुती देते है और इसे देखने के लिए लोग दूर दूर से आया करते है| 

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