अचानक क्यों बदले बराक ओबामा के सुर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान वहां के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि अमेरिकी प्रेसिडेंट जो बाइडन को भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यकों की सुरक्षा का मुद्दा उठाना चाहिए। बराक ओबामा एक डेमोक्रेट लीडर हैं। बाइडन भी हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी की विचारधारा वामपंथी है। मोदी जिस पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हैं, हम जानते हैं कि यह एक राष्ट्रवादी पार्टी है। ऐसे में ओबामा की तरफ से जो बयान आया, उसके पीछे राजनीतिक कारण हो सकते हैं।
अमेरिका में पिछले जो डेमोक्रेट राष्ट्रपति रहे हैं, उनकी लाइन कहीं न कहीं प्रो-लेफ्ट रही है।
विचारधारा की दृष्टि से ओबामा भी राष्ट्रपति के तौर पर पार्टी लाइन को बहुत प्रॉमिनेंटली रखते थे। एक डेमोक्रेट लीडर के रूप में वह हमेशा प्रो-लेफ्ट दिखाई दिए।
यह नहीं भूलना चाहिए कि आने वाले दिनों में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं। बाइडन ने अपनी दावेदारी पेश कर दी है, मगर अभी तक डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी ने अपने कैंडिडेट्स फाइनल नहीं किए हैं।
ओबामा की तरफ से जब यह बयान आया, तब अमेरिका-भारत के बीच कई अहम समझौते एकदम अंतिम पड़ाव पर थे।
पीएम का जवाब
भारत सरकार की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उसी दिन प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इसका उचित उत्तर दे दिया था, जब एक पत्रकार ने ओबामा की ही बात को घुमा-फिराकर उनके सामने रखा।
प्रधानमंत्री ने साफ तौर पर कहा कि भारत अनेकता में एकता का देश है।
माइनॉरिटी राइट्स की बात करें या भारत के एक-एक नागरिक की, किसी की जाति, धर्म या जेंडर क्या है, इस पर ध्यान दिए बगैर सबके मूलभूत अधिकार सुनिश्चित किए गए हैं।
ऐसे में माइनॉरिटी राइट्स का उल्लंघन हो रहा है, माइनॉरिटी के साथ कोई बुरा वर्ताव हो रहा है, इस प्रकार के प्रोपेगेंडा से बचना चाहिए।
धर्म और आतंकवाद
वहीं भारतीय रक्षा मंत्री और वित्त मंत्री ने कहा कि जब ओबामा स्वयं राष्ट्रपति थे, तो यमन, सीरिया और अन्य तमाम मुस्लिम देशों में उन्होंने आतंकवाद से लड़ाई के नाम पर क्या किया, यह पूरा विश्व जानता है। एबटाबाद में अमेरिका ने बड़ा ऑपरेशन करके अलकायदा चीफ को मार दिया था। ऐसे में यह याद रखना चाहिए कि धर्म विशेष और वैश्विक समस्याओं को आपस में जोड़ना सही नहीं है। यह बात ओबामा के लिए भी समझने की है कि जब आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई की बात होगी, तब भारत सरकार वहां किसी का धर्म, पंथ या जाति देखकर एक्शन नहीं लेगी। जम्मू और कश्मीर में भारत सरकार जो कुछ भी कर रही है, देश के एक-एक नागरिक की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कर रही है। यह आतंकवाद के विरुद्ध अभियान का हिस्सा है। ऐसे में हम किसी धर्म विशेष को बीच में नहीं ला सकते।
नहीं मिला समर्थन
ओबामा के बयान पर अमेरिका से भी कुछ स्ट्रॉन्ग रिएक्शंस आए हैं। अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी आयोग के पूर्व आयुक्त जॉनी मून ने कहा कि भारत मानव इतिहास में सबसे विविधता वाला देश है। विविधता ही उसकी ताकत है। ओबामा को भारत की आलोचना करने के बजाय उसकी सराहना करने में अपनी ऊर्जा खर्च करनी चाहिए। बाइडन और अमेरिकी प्रशासन भी इस बात को बहुत अच्छी तरह से समझ रहे हैं। इसीलिए बाइडन की तरफ से भी इसी प्रकार का स्टेटमेंट आया कि भारत अनेकता में एकता का देश है। उसकी हमें सराहना करनी चाहिए।
मुझे लगता है कि बराक ओबामा को भी जमीनी हकीकत पर ध्यान देना चाहिए बजाय इसके कि दुष्प्रचार से प्रभावित हो जाएं। आज का तकनीक युग ऐसा है कि झूठी बातें भी तेजी से पूरी दुनिया में फैल जाती हैं। ऐसे में यह ज्यादा जरूरी है कि सामने आ रही हर सूचना को आंख मूंदकर सच न मान लिया जाए। उन्हें वास्तविकता देखनी चाहिए। भारत वास्तविक अर्थों में लोकतांत्रिक देश है, पाकिस्तान की तरह नहीं है।
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